14 दिस॰ 2012

१२-१२-१२ का जादू : ट्रेन में शादी.


कहते हैं जादू वो जो सर चढ कर बोले, जैसे बंगाल के काले जादू के बारे में कहा जाता था. पर १२-१२-१२ के जादू ने तो बंगाल क्या अफ्रीका तक के जादू को फेल कर दिया.
      अभी तक ये सुनने में आया था कि कुछ भावी अभिवावकों ने अपने बच्चे के जन्म के लिए ये समय निधारित किया है. कि १२-१२-१२ को आपरेशन द्वारा प्रसव किया जाएगा. कुछ प्रेमी युगल ने शादी हेतु पंडित से चिचोरी कर के इस दिन के लिए लग्न तय करवाया है.  हालांकि ज्योतिष के अनुसार १२-१२-१२ का दिन का कोई विशेष नहीं मात्र संजोग है.

पर एक खबर : 
दिल्ली से चली ट्रेन, हुआ प्यार, अलीगढ़ में शादी
खास तारीख 12-12-12 से एक दिन पहले मंगलवार को पूर्वा एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे 2 मुसाफिरों के लिए यह यादगार सफर बन गया। दिल्ली से चली ट्रेन में सफर के दौरान इन 2 मुसाफिरों को प्यार हुआ और ट्रेन के अलीगढ़ पहुंचते-पहुंचते दोनों ने शादी कर ली। ट्रेन में सफर कर रही किसी महिला से सिंदूर मांगकर युवक ने युवती की मांग भरी। ट्रेन में ही चल रहे एक यात्री ने इस शादी में पंडित की भूमिका निभाई। सहयात्रियों ने नव विवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया।

12 दिस॰ 2012

दादी माँ की दो कहानियाँ

एक लघु कथा है, जो गुज़रे जमाने में हर दादी माँ किशोर पोते को सुनाती थी.. मकसद एक होता था, कि बच्चा संस्कारित बने. शादी के बाद भी माँ बाप को भूले नहीं जिन्होंने बड़े जतन से उसे पाल पोस कर बड़ा किया.

वो ज़माना ही ऐसा था जब दस्तूर को मानना पड़ता था, हर समर्थवान की एक रखैल होती थी. और जो लोग रखैल नहीं रख सकते थे वो वैश्या का सहारा लेते. बाबु साहेब भी ऐसे थे... इज्ज़तदार मगर पैसे से कमज़ोर, एक वैश्या से दिल लगा बैठे.... अब तक कोई दिक्कत नहीं थी. जैसा की पेशा ही था, कि वैश्या से कई लोग दिल लगाते थे, पर इस मामले में एक पेच था... वो वैश्या इस बाबु साहेब से दिल लगा बैठी थी.
बाबु साहेब तो वैश्या के संपर्क में बस अपना दिल बहलाने को जाते, पर वैश्या के मन में कई अरमान - कई सपने जी उठे थे - अपना बच्चे, अपना मकान, गिरहस्थी... आयदा-इलाय्दा.