16 दिस॰ 2007

ये आरजू थी तुझे गुल के रू-बा-रू करते

ये आरजू थी तुझे गुल के रू-बा-रू करते
हम और बुल_बुल-ए-बेताब गुफ्तगू करते

[रू-बा-रू = सामने; गुफ्तगू = बातचीत]

पयाम बार न मयस्सर हुआ तो खूब हुआ
ज़बान-ए-ग़ैर से क्या शर की आरजू करते

[मयस्सर = मौजूद है]

मेरी तरह से माह-ओ-महर भी है.न आवारा
किसी हबीब को ये भी है.न जुस्तजू करते

[माह-ओ-महर = चंद और सूरज; हबीब = दोस्त]

जो देखते तेरी जा.नजीर-ए-जुल्फ का आलम
असीर होने के आजाद आरजू करते

[असीर = कैदी]

न पूछ आलम-ए-बरगाश्ता ताली-ए-"आतिश"
बरसती आग मी.न जो बारा.न की आरजू करते

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.